Public Opinion

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The foundation of India's democracy is very strong now, the foundation is so strong that now no one can even dare to think of shaking this foundation. Earthquakes, big storms, tsunamis sometimes give a half blow to the building of democracy, but it does not mean that the foundation of democracy is shaken.

Even though the pros and cons may get trapped in the vortex of politics and start thinking of enjoying power, but this should not be taken to mean that India's democracy is moving towards dictatorship. The press will also try to mislead once but that too will not be able to shake the foundation of democracy.

Whenever the voice of the public was raised, then the direction of every wind was changed. Every challenge of the public has ripped the sky, shook the mountain and forced politics to bow down.

Whoever is intoxicated today, should understand that his well being is as long as the public is silent.

Written by Tanveer Alam


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जनता की राय

भारत के लोकतंत्र की बुनियाद अब बहुत मजबूत है, बुनियाद इतनी मज़बूत कि अब कोई इस बुनियाद को हिलाने की सोचने का भी  दुस्साहस नहीं कर सकता है। भूकंप, बड़े तूफान, सुनामी कभी कभार लोकतंत्र की इमारत को एक आध झटका दे देते है पर इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि लोकतंत्र की बुनियाद हिल गई। 

पक्ष-विपक्ष भले ही राजनीति के भंवर में फंस कर सत्ता सुख भोग ने की सोचने लगे, मगर इसका ये मतलब कतई नहीं निकाला जाना चाहिये कि भारत का लोकतंत्र तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है। प्रेस भी एक दफा को गुमराह करने की कोशिश करेगी मगर वो भी लोकतंत्र की बुनियाद को हिलाने में कामयाब नहीं होगी। 

जनमानस की आवाज़ जब-जब बुलंद हुई तब-तब हर एक हवा का रुख मोड दिया गया। जनमानस की हर ललकार ने आसमान को चीरा है, पर्वत को हिला दिया है और राजनीति को झुकने पर मजबूर कर दिया है। 

आज जो भी जिस नशे में चूर है वो ये समझ ले कि उसकी खैर तब तक है जब तक जनता चुप है। 

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तनवीर आलम 

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